होंगे वहीँ शायद रेत पर बने हमारे कदमो के निशाँ
जिसे हमने ढक दिया था इक पत्थर के नीचे...
लहरों में भी इतनी दया होती है कि वो दिलवालों को अलग नहीं करते .......
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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