वो तो सुनता है मगर ,खामोश रह जाता है
इम्तेहान -ऐ -ज़ीस्त में कब होश रह जाता है ?
कोई हुजूम आया नहीं ,अब कर रहे क्यों गिला
अप खुद से न मिले,क्या दोष रह जाता है ?
किस तरह से ज़मीं ठण्ड से बातें करे
और गवाह में किस तरह बस ओस रह जाता है !
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
वो तो सुनता है मगर ,खामोश रह जाता है
इम्तेहान -ऐ -ज़ीस्त में कब होश रह जाता है ?
कोई हुजूम आया नहीं ,अब कर रहे क्यों गिला
अप खुद से न मिले,क्या दोष रह जाता है ?
किस तरह से ज़मीं ठण्ड से बातें करे
और गवाह में किस तरह बस ओस रह जाता है !
अंधेरों में उजाला ढूंढते हो
बहुत प्यासे हो ,प्याला ढूँढ़ते हो
ये सहरा है मगर खुशफ़हम हो
यहाँ आकर निवाला ढूँढ़ते हो
तुम बागवाँ का हाल देखो
सुर्ख फूलों की माला ढूँढ़ते हो
शहर भर की रंगीनियत में
कोई गाँव वाला ढूँढ़ते हो
"नील " कल ढूँढ़ते थे सुरा को ,
क्या आलम है ,हाला ढूँढ़ते हो
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...