अंधेरों में उजाला ढूंढते हो
बहुत प्यासे हो ,प्याला ढूँढ़ते हो
ये सहरा है मगर खुशफ़हम हो
यहाँ आकर निवाला ढूँढ़ते हो
तुम बागवाँ का हाल देखो
सुर्ख फूलों की माला ढूँढ़ते हो
शहर भर की रंगीनियत में
कोई गाँव वाला ढूँढ़ते हो
"नील " कल ढूँढ़ते थे सुरा को ,
क्या आलम है ,हाला ढूँढ़ते हो
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (07-03-2016) को "शिव का ध्यान लगाओ" (चर्चा अंक-2274) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Bahut dhanyvaad aapka
Deleteसार्थक व प्रशंसनीय रचना...
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएँ!!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
अच्छा लिखते है आप ।
ReplyDeleteDhanyvaad aapka
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