ए ज़िन्दगी तुझे देख कर आवाक रह गए,
उम्मीद ,ऐतवार , बस पोशाक रह गये
जो आफताब था वो दहकता रहा,
जो चराग़ थे ,वो यहाँ खाक रह गये
जब क़ोई संजीदगी ढूँढ़ने चले,
हर मोड़ पे जाने क्या मज़ाक रह गये
कूचे से तेरी जिंदगी लौटे सादा दिल,
खातिर में तेरे तेज़ और चालाक रह गये
हाँ जोर तोड़ सब रहे तुझको मनाने को ,
ताक पर लेकिन यहाँ इख़लाक़ रह गये
बेहतरीन नीलाशं जी
ReplyDeleteDhanyvaad aap sabhi ka
ReplyDeleteनीलांश जी, बेहतरीन और शानदार कविताएं निकलती है आपकी कलम से। अध्ययन करने पर बहुत अच्छा लगा। आपके ब्लाॅग को हमने Best Hindi Blogs में लिस्टेड किया है।
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