गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
Tuesday, August 8, 2017
Yes, you are my soul
Thursday, June 1, 2017
और क्या नाम दूं इस मंज़र को
और रहे एक पुकार
तब तक ही ज़िन्दगी
वरना क्या रखा है
जो तुम नहीं थे
बेपरवाह ज़माने में
और क्या नाम दूं
प्यार ही तो है
Friday, May 12, 2017
शिनाक्त
सामने तेरे इक आईना होगा ,
दर को तूने जो बंद किया होगा
तेरी पलकों पे जो कहानी है
देख कर कोई सो गया होगा
"नील " लिखूँ तो फिर शिनाक्त सही ,
न लिखूँ अगर तो क्या होगा
Monday, May 1, 2017
रब को दिल में ही अपने बसाया करना !!
देखो गुलाब भी काँटों को भी संग रखता है
Monday, April 10, 2017
जो आईना सा है
किस बात से खफा थे सब ,ये मालूम है
मैं अकेला और पीछा करता हुजूम है
खामोश है मेरी तरह जो बीते कल की तरह ,
जो आईना सा है मेरा ,वो ही मासूम है
दो बूँद माँगता था वो ,पर जिंदगी की दोस्त
दे दी आपने क्या शोहरत,क्या वो मज़लूम है ?
देखेंगे हम ,है अभी कयामत का वक्त दूर ,
कौन हैँ मायूस और किनकी धूम है
Saturday, April 8, 2017
आवाज
हर नजर में है बेचैनी ,हर नजर का इशारा भी ,
ये कहते हैँ मैं उनका हूँ ,वो कहते हैँ हमारा भी
जिस राह की कहानी तुमको अभी सुननी है ,
उस राह पर वो चला भी ,उस राह पर हारा भी
सुनते हो ,सुनाते हो ,आवाज का शहर है ,
इक बार कभी सोचो ,तुम्हे हमने पुकारा भी
Saturday, April 1, 2017
चासनी !!
Monday, March 13, 2017
रँग
चुपचाप सा रह जाना ,आपके मामूल क्यूँ हैँ ,
जो सब होता हो ये आपको माकूल क्यूँ हैँ
किस रँग के उतर जाने की बात करते हैँ ,
रँग देखने में भला इतने मशगूल क्यूँ हैँ
कितनी नज़्मों में हमारा ज़िक्र आया था ,
बस चंद हर्फ़ हि आपको मक़बूल क्यूँ हैँ
ये तो पाँव के निशाँ थे दौर -ऐ -सफर में , देखिए ,
फिर नज़रिये में ये रास्ते के धूल क्यूँ हैँ
अजूबे
पानी के रँग में डूबे हैँ ,कौन पहचाने
सब सफर में हैँ और ऊबे हैँ ,कौन पहचाने
चंद गलियों के अफ़साने ,सुनाया करते
इस जहाँ में क्या अजूबे हैँ ,कौन पहचाने
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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दलील क्या है ?,थाह ले कर देख लो ! हक में कुछ गवाह ? ले कर देख लो ! हो गयी है राह पथरीली मगर .. राह की भी राह ,ले कर देख लो है वही पेड़ था झ...
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निशा निमंत्रण लेकर चन्दा , छत पर मेरे आया है सपनो में था खोया मैं ,उसने आकर मुझे जगाया है ठंडी ठंडी हवा चल रही ,रिमझिम...