जब तक रहे
किसी का इंतज़ार आँखों में
और रहे एक पुकार
और रहे एक पुकार
खुद की साँसों में
तब तक ही ज़िन्दगी
तब तक ही ज़िन्दगी
ज़िन्दगी कहलाती है
वरना क्या रखा है
वरना क्या रखा है
फजूल की बातों में ...
जो तुम नहीं थे
जो तुम नहीं थे
तो तेरी जुदाई संग थी
बेपरवाह ज़माने में
बेपरवाह ज़माने में
मेरी खुदाई संग थी
और क्या नाम दूं
और क्या नाम दूं
इस मंज़र को
प्यार ही तो है
प्यार ही तो है
जो जागता है सुनी रातों में ...