ए खुदा हमको सिर्फ इतनी सी कुव्वत देना
कुछ न देना मगर दिल की एक हुकूमत देना
साँसें चलती रहें मगर सांस बेख़ौफ़ रहे
कोई सेहरा नहीं, थोड़ी सी इज्ज़त देना
मफहूम मोहब्बत का ना जान सका ये दिल
सुकून-ए-दिल हो मयस्सर, वो मुरब्बत देना
साँसें चलती रहें मगर सांस बेख़ौफ़ रहे
कोई सेहरा नहीं, थोड़ी सी इज्ज़त देना
मफहूम मोहब्बत का ना जान सका ये दिल
सुकून-ए-दिल हो मयस्सर, वो मुरब्बत देना
ये पाबन्द नहीं बल्कि समुंदर से गहरा है
डूब जाऊं सदा के लिए ,ऐसी हसरत देना
ख्वाइश नहीं कोई आब-ए-हयात की हमें
नज़्म रूह को छु जाएँ ऐसी नियत देना
"नीलांश "
नज़्म रूह को छु जाएँ ऐसी नियत देना
"नीलांश "
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुन्दर
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