वही बात फिर दोहरा के तो देखो ,
जहाँ से चले ,वहीं जा के तो देखो !
खलिश ,धूल ,शक सब हटा के तो देखो ,
नज़र से नजर अपनी मिला के तो देखो !
स्याही से कागज़ नाराज़ क्यूँ है ,
कलम से ये मसला बता के तो देखो !
हर इक हर्फ़ में है गज़ल "नील " तेरी
तुम इक हर्फ़ को दिल से गा के तो देखो !
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