Friday, August 30, 2019

अलग

रात कोई और ,सुबह और ,धूप छाँव अलग
अब मेरे लोग अलग ,देश   अलग ,गाँव अलग

खेल  जो खेलते   हो मैं भी था माहिर  जहाँ ,
पर मेरे ढँग अलग और तुम्हारा  दाँव अलग

राह ही राह ,मंजिल पे ले जायेगी कौन ,
"नील " मेरा जेहन कहीं और ,मेरे पाँव अलग

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