रात कोई और ,सुबह और ,धूप छाँव अलग
अब मेरे लोग अलग ,देश अलग ,गाँव अलग
खेल जो खेलते हो मैं भी था माहिर जहाँ ,
पर मेरे ढँग अलग और तुम्हारा दाँव अलग
राह ही राह ,मंजिल पे ले जायेगी कौन ,
"नील " मेरा जेहन कहीं और ,मेरे पाँव अलग
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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