Saturday, October 5, 2019

Misconception/ भरम

टूटे  हुये  शीशों  को  सजाओ  ना ,  दोस्तों ,
यूँ  आईनों   का  शहर  बसाओ  ना  दोस्तों !

रखते  हो  अगर  आईना  तो , रखो  साफ साफ,
भूल  कर  खुद  को  ही  ,आओ  ना  दोस्तों

कागज़ों  के  रेत  में  ये  हर्फ़  के   हैं  धूल ,
हर्फों  को  फिर  फूल  सा  खिलाओ  ना  दोस्तों

कहते  हो  वाह  तो  हो  जाती  है  रौनक ,
है  कमी  तो  , आज ,  छुपाओ  ना  दोस्तों,

रूठता  है  अब  नहीं   ये  "नील " भी  कभी ,
ये  भरम भी  तोड़  के  जाओ  ना  दोस्तों

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