इस शहर में आइनों का शबाब देखा
हकीकत से हंसीं इक ख्वाब देखा !!
काँटों के सेज सजे मिले हर मोड़ पे
मगर काँटों में मुस्कुराता गुलाब देखा !!
कई सवाल उलझे थे धागों की तरह
उंघते चेहरों में उनका जवाब देखा!!
बिक गए शज़र कौड़ियों के दाम
साँसों का कुछ अजीब हिसाब देखा!!
खामोश रातों में रतजगा करते
इक अधलिखा हुआ किताब देखा !!
सवेरा हुआ तो इल्म हुआ "नील"
कि कल रात महज़ इक ख्वाब देखा !!