अजनबी शहर से कुछ ऐसा सिला मिला
बेगानों के सफ़र का बस काफिला मिला
वो आये लहरों की तरह से ज़िन्दागनी में
हमको मगर समुंदर सा इक फासला मिला
जब भी कदम रुके वो साँस बन गए
हर हार में , उनकी दुआ से ,हौसला मिला
हर चेहरे में ढूंढा किया है , उनका अक्श
मगर बेरुखी का ,बस हमें सिलसिला मिला
जब सभी को है खबर उनकी परश्तिश की
तो क्या फिकर, उनसा न कोई, बागवां मिला
ले आरज़ू इक दर्श की फलक को तकते थे
मगर ओढ़ बादल को सदा,वो आसमा मिला
बहुत ही सुन्दर.....
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