गर नशा उनका है तो फिर मैं शराबी हूँ
मुहब्बत के समंदर का सच्चा जहाजी हूँ
अगर तुम ज़ुल्म का ये शरियत चलाओगे
तो मैं भी हूँ आज़ाद,मैं भी एक बागी हूँ
तुम फूलों से जुल्फों को सजा लेना मगर
ये जान लो सनम मैं उनका ही डाली हूँ
सब मौत जीते हैं ,हमने ज़िन्दगी जी है
क्या इसलिए आज उनका अपराधी हूँ
हमने किसी के लिए पूरी चाहत लुटा दी
मगर लोग कहते हैं मैं हाज़िर जवाबी हूँ
दैर -ओ -हरम जाने की ख्वाइश नहीं रखता
मैं तो बस सुर लय ताल का एक नमाज़ी हूँ
मैं तो बस सुर लय ताल का एक नमाज़ी हूँ
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