हर किसी को कोई ना कोई बात का नशा है
ज़िन्दगी में आके कोई ज़िन्दगी से कहाँ बचा है
जब भी कोशिशों के संमुन्दर में डूब कर देखा
दूर फलक का चाँद बादलों में छुपा दिखा है
इस शहर में दिन ढलते ही मयकदे का शोर है
अब दीवानों को मुहब्बत का सजा मिलता है
रूठ कर गए हमसे ,ये बात बेमानी लगती है
अब भी जब ग़ज़ल में तुम्हारा नाम लिखा है
ख्वाब में आ जाओ गर ज़माने का डर है "नील"
तेरे लिए हरदम अपना दरवाजा खुला रखा है
ज़िन्दगी में आके कोई ज़िन्दगी से कहाँ बचा है
जब भी कोशिशों के संमुन्दर में डूब कर देखा
दूर फलक का चाँद बादलों में छुपा दिखा है
इस शहर में दिन ढलते ही मयकदे का शोर है
अब दीवानों को मुहब्बत का सजा मिलता है
रूठ कर गए हमसे ,ये बात बेमानी लगती है
अब भी जब ग़ज़ल में तुम्हारा नाम लिखा है
ख्वाब में आ जाओ गर ज़माने का डर है "नील"
तेरे लिए हरदम अपना दरवाजा खुला रखा है
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