कुछ समझो ,कुछ तो गौर करो
लाल न हो जाए धरती कहीं
आओ चम्बल को चित्तौड़ करो
रास्ता मिल जायेगा तुमको भी
चलो फिर से शुरू दौर करो
जो फर्क करते हैं रंगों में यारों
तुम उनको न युहीं सिरमौर करो
साहिलों पे न बैठ गिनो कश्ती
लहरों पे जाकर अब ठौर करो
कोशिश यारों तुम और करो
लाल न हो जाए धरती कहीं
आओ चम्बल को चित्तौड़ करो
रास्ता मिल जायेगा तुमको भी
चलो फिर से शुरू दौर करो
जो फर्क करते हैं रंगों में यारों
तुम उनको न युहीं सिरमौर करो
साहिलों पे न बैठ गिनो कश्ती
लहरों पे जाकर अब ठौर करो
रास्ता मिल जायेगा तुमको भी
ReplyDeleteचलो फिर से शुरू दौर करो ...
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है इस गज़ल का ....
bahut aabhaar digambar ji
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