Monday, April 1, 2013

चले आओ न हमसफ़र !

चले   आओ   न   हमसफ़र , आज मन   उदास   है 
हमें   पता   है   तू   यहीं कहीं   आस - पास   है!!  

तेरे   न  होने   से  गुलशन   गुल से मरहूम हो गया
क्या तुझे इल्म नहीं यारा  कि ,तू   कितना  ख़ास  है !!

शहर  में  ज़िन्दगी  की  ज़द्दोज़हत  बहुत है
यारा ,कोई  डर  नहीं  ,जब  संग  तेरे विश्वास  है !!

चलते  रहना  ,हिम्मत  से  ,और  पाना  मुकाम
जब  संगीत  रूह  में  है  ,तब  किसकी  तलाश  है !!

उसकी  रहमत  से  सुरमयी हो जाए हर इक सांस
हर  रूह  में  ही  कोई  मीरा,  तो कोई  रैदास  है !!

7 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार2/4/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  2. आपका आभारी हूँ राजेश जी ,बहुत धन्यवाद

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इंजीनियर प्रदीप कुमार साहनी अभी कुछ दिनों के लिए व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है और आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (03-04-2013) के “शून्य में संसार है” (चर्चा मंच-1203) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर..!

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  4. आपका बहुत आभारी हूँ मयंक दा

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  5. शहर में ज़िन्दगी की ज़द्दोज़हत बहुत है
    यारा ,कोई डर नहीं ,जब संग तेरे विश्वास है !!

    किसी के साथ का कितना फर्क पढता है वो बी जिससे आप प्रेम करो ...
    लाजवाब गज़ल ...

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  6. बहुत आभार कुलदीप जी , आपका शुक्रिया
    आभार दिगम्बर जी ,बहुत धन्यवाद आपका

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  7. अपनों का प्यार और विश्वास साथ हो तो दुनिया में किसका डर ?LATEST POST सुहाने सपने

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