रात आयी है ,
चाँद भी सो गया है ,
बादल को ओढ़ कर..
चलो ,सूरज की लाली को देखने ,
ख्वाब में खो जाते हैं...
कल खिड़की के शीशे पर पड़ी ओस की बूँदें को
जब सूरज की किरणे छू जायेंगी
तो हमारे पास भी
बेमोल मोतियों का खजाना होगा..
और जब बादलों रोयेंगे
अपने चाँद से बिछड़ने वक़्त कल सुबह
तब
उस प्रेम भरी बारिश में तुम बागीचे में नहा लेना .....
और दिन की शुरुआत करना .....
वाह...बहुत ख़ूबसूरत और भावमयी अभिव्यक्ति...
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