होने को है मुक़ाबिल वो मुकाम की घड़ी
या कहें कि आखिरी सलाम की घड़ी
देर तक रहेगी ,स्याही बन के पन्नो पर
ये नहीं है कोई दौर -ए -जाम की घड़ी
वक़्त ने चाहा कि मैं बस झील बन जाऊँ ,
हम नदी हैं ,और ये इन्तेक़ाम की घड़ी
है इक तरफ शुक्रिया अदायगी अपनी
है इक तरफ आपके इन्तेज़ाम की घड़ी
आओ चलें "नील" धूप के शहर की ओर ,
भायी नहीं हमें सुहानी शाम की घड़ी
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