Saturday, February 1, 2020

खुशबू को न तौलो


ए  दोस्त  कहाँ  हो  ,कैसे  हो  ,बोलो  न , कुछ  तो  बोलो
बात  बनेगी , राह  दिखेगी  ,अपने  अंतर्मन  को  खोलो
धुप  ,छाँव  ,शहर  और  गाँव  ,सब इक  से  हो  जायेंगे
महफ़िल  तुम  जहाँ  बनाना  ,अधरों  में  मिश्री  को घोलो

देखो  चरवाहा  अपने  भेड़ों  से  प्रेम  कितना  दिखाए
देखो  माली  गुलशन  के  खातिर कितना स्वेद बहाए
तुम  भी  अब  अपनी  कोशिश  से   नया  तराना  लिख दो
हर  गुल  की  खुसबू  है  अच्छी  ,खुशबू  को  न  तौलो

आओ  ,दीप  जलाओ ,फिर  से , नया  सवेरा  लाते  हैं
अमन  ,चैन  ,दोस्ती  का  इक सुंदर  मकान  बनाते  हैं
उम्मीदों  का  दामन  रखना  ,आगे   बढ़ते  जाने
अपने  मन  पर  पड़ी  धुल  को  भक्ति  से  तुम  धो  लो 

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 02 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. भाईचारा और प्रेम भाव ही सब कुछ है.
    सुंदर
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

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  3. बहुत सुंदर सृजन।

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  4. वाह !!!
    बहुत ही सुन्दर, लाजवाब।

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  5. प्रशंसनीय

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