खामोशियाँ आती हैं अक्सर
कुछ यादों के संग
चलो हम भी महफ़िल में आयें
दुआओं और फरियादों के संग
इन खामोश आवाजों की धुन को
चलो हम भी महफ़िल में आयें
दुआओं और फरियादों के संग
इन खामोश आवाजों की धुन को
तुम भी सुन लो न राही
रह जायेगी बस तन्हाइयां ही
कुछ पुरे अधूरे वादों के संग
कुछ टूटते हुए
ख़्वाबों के दरमियान
कुछ अपनी
और कुछ तुम्हारी खुशियाँ
अफसाना है एहसासों का
अपने नेक इरादों के संग
अपने नेक इरादों के संग
कुछ टूटते हुए
ख़्वाबों के दरमियान
कुछ अपनी
और कुछ तुम्हारी खुशियाँ
अफसाना है एहसासों का
अपने नेक इरादों के संग
अपने नेक इरादों के संग
खूबसूरत कविता।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 02 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteश्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत धन्यवाद आप सब का
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