Wednesday, April 1, 2020

खामोशियाँ आती हैं अक्सर

खामोशियाँ  आती  हैं  अक्सर 
कुछ  यादों  के  संग
चलो  हम  भी  महफ़िल  में  आयें 
दुआओं और फरियादों  के  संग

इन  खामोश  आवाजों की धुन  को  
तुम  भी  सुन  लो  न राही 
रह  जायेगी  बस  तन्हाइयां ही 
कुछ  पुरे अधूरे  वादों  के  संग

कुछ  टूटते हुए
ख़्वाबों  के  दरमियान
कुछ  अपनी  
और कुछ  तुम्हारी खुशियाँ

अफसाना  है  एहसासों  का 
अपने  नेक  इरादों  के  संग

अपने   नेक  इरादों  के  संग 

5 comments:

  1. खूबसूरत कविता।

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  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 02 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  4. बहुत धन्यवाद आप सब का

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