Friday, December 21, 2018

इक ओस की औक़ात

बहके हुए ज़ज़्बात ले कर ,आए हो मिलने
कभी सुबह कभी रात ले कर ,आए हो मिलने

मैं सुबह की धूप में था मुंतजिर तेरा ,
जुगनू की ये बारात ले कर ,आए हो मिलने 

तिनको की कीमत आप पंछी से पूछ लो ,
तूफ़ान की जो बात ले कर ,आए हो मिलने

करते थे बारहा तुम दरिया का जिक्र "नील "
इक ओस की औक़ात ले कर ,आए हो मिलने

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