पके आम के संग -संग रेशे भी होवत आम
उतना ही रसपान करें जिससे मिले आराम
लीची मीठी होवत है पर बीज कसैला होए
सीचन कर देखो ज़रा फल कितना सुंदर भये
बांस होवत कठोर है पर गुण होवे हैं निराले
काट छांट जो छोटा किये ,मधुमय सुर निकाले
बहुत अर्थपूर्ण प्रस्तुति. दोहा छंद के अनुसार मात्राओं पर पर ध्यान देंगे तो और भी निखार आ जायेगा...
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