सावन आया या ख़्वाबों के बादल आये ,
काग़ज़ को भरने दीवाने पागल आये
हमने आज गाड़ीवानो को रुसवा किया
यारों दिलदारों से मिलने को पैदल आये
हो जाए न कोई कसूर ,महफ़िल न हो रुसवा
छुपाकर दिल में तश्वीर निकल आये
ये न कहो की मेरा अज़ीज़ भी कर गया तन्हा
यादों में साथ देने वो पल पल आये
ले के गए नील आँखों में इक तीरगी
कब हो गया जादू ,दीपक सा हम जल आये
काग़ज़ को भरने दीवाने पागल आये
हमने आज गाड़ीवानो को रुसवा किया
यारों दिलदारों से मिलने को पैदल आये
हो जाए न कोई कसूर ,महफ़िल न हो रुसवा
छुपाकर दिल में तश्वीर निकल आये
ये न कहो की मेरा अज़ीज़ भी कर गया तन्हा
यादों में साथ देने वो पल पल आये
ले के गए नील आँखों में इक तीरगी
कब हो गया जादू ,दीपक सा हम जल आये
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
aapka bahut aabhaari hooon mayank daa ,
ReplyDeleterachna ko charcha manch ki sneh dene ke liye bahut aabhar aapka,
बहुत सुन्दर भाव ग़ज़ल की उम्दा कोशिश शुभकामनायें
ReplyDeleteले के गए नील आँखों में इक तीरगी
ReplyDeleteकब हो गया जादू ,दीपक सा हम जल आये ..
Bahut hi acchi rachna..
ले के गए नील आँखों में इक तीरगी
ReplyDeleteकब हो गया जादू ,दीपक सा हम जल आये ..
Bahut hi acchi rachna..
ले के गए नील आँखों में इक तीरगी
ReplyDeleteकब हो गया जादू ,दीपक सा हम जल आये ..
Bahut hi acchi rachna..
दीवाने पागल और कागज बहुत अच्छा है !!
ReplyDelete