कांटे
होते हैं
गुलाब की खूबसूरती को
नायब करने के लिए ,
काँटों में भी दर्द है
उससे बिछुरने की
ए मेरे बाग़ के माली,
उसके आने के
होते हैं
गुलाब की खूबसूरती को
नायब करने के लिए ,
काँटों में भी दर्द है
उससे बिछुरने की
ए मेरे बाग़ के माली,
उसके आने के
इंतज़ार तक पौधे का
बागवाँ सा करता है
बागवाँ सा करता है
वो देखवाली !!
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