खामोशियों का राजदार कौन है
मेरी तरह ही बेकरार कौन है
हो जाए रौशन ये मेरी दास्ताँ
वो खूबसूरत किरदार कौन है
जब हम नहीं तो अब बोल दें
फिर आपका तलबगार कौन है
आ कर कलम ने ज़ख्म भरा
मेरी तरह ही बेकरार कौन है
हो जाए रौशन ये मेरी दास्ताँ
वो खूबसूरत किरदार कौन है
जब हम नहीं तो अब बोल दें
फिर आपका तलबगार कौन है
आ कर कलम ने ज़ख्म भरा
गम में मेरा साझीदार कौन है
कभी तेरा ख़त,तो कभी तश्वीर
परदेश में गमगुसार कौन है
आओ दिया हम जलाते चले
फिर सोचेंगे,समझदार कौन है
कभी तेरा ख़त,तो कभी तश्वीर
परदेश में गमगुसार कौन है
आओ दिया हम जलाते चले
फिर सोचेंगे,समझदार कौन है
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-02-2015) को "इस आजादी से तो गुलामी ही अच्छी थी" (चर्चा अंक-1899) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Dhanyvaad aapka
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