नूर-ए-नज़र उनकी पाने से डरते थे
सर-ए -महफ़िल मुस्कुराने से डरते थे!!!
यूँ तो तसव्वुर में भी वो थे मौजूद
हाल-ए-दिल मगर सुनाने से डरते थे !!!
खुशियाँ ढूँढी थी उनकी हर ख़ुशी में
ना लग जाए नज़र ,ज़माने से डरते थे !!!
चुप चाप रह कर सुना उनके दर्दों को
मरहम उन्हें पर , लगाने से डरते थे !!
हम उनको सदा खो जाने से डरते थे !!!
ए "नील" हकीकत में फ़रिश्ता मिला था
पर ख्वाब हसीं हम सजाने से डरते थे !!!
बहुत खूब.....बेहतरीन ग़ज़ल....
ReplyDeleteगजब का शेर , मुबारक हो
ReplyDeletebhai gajab ke ahasas..... bahut hi badhiya
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