चाँद खेलता है मुझसे
बस जाता हूँ उनके दिल में
जिनके दिल निश्चल होते हैं ...
कहता है कल आऊंगा
काले धब्बे को मैं चाँदनी के दूपट्टे में छुपाऊंगा
मैं कहता उसको कि क्या होगा
अमावास तो आएगी ही
तू उदास होगा तो मेरा दीप तुझे मुस्काएगी ही ...
वो कहता की देख ले मुझको आज जी भर के जाना
कल का क्या भरोसा मैं चाँद हूँ
कई चकोर हैं
कई चकोर हैं
तू समझ न जाना की प्रेम का न कोई छोर है ...
तू अपने आँखों से
मेरे धब्बो को देखती है
मेरे धब्बो को देखती है
तू उसको काजल कहती है
मुझको सुंदर कहती है
तू निश्चल है मेरी जाना
पर मुझे सभी का होना है
पर मुझे सभी का होना है
तू मेरे चाँदनी को आज जी भर देख ले जाना ...
मेरे काले धब्बे को आज
उकेरना किसी कागज़ पर
उकेरना किसी कागज़ पर
मुझे दिखाना अगले पूनम पर
मेरी तश्वीर और बताना कि
मेरी तश्वीर और बताना कि
तू मुझे किस रूप में देखती थी ....
जिसने जैसा रूप देखा मैं उसका हो गया ...
कितने चकोर आये गए पर कितनो को
मिल पाया मैं ?
बस जाता हूँ उनके दिल में
जिनके दिल निश्चल होते हैं ...
मैं न रहूँ तो भी वो याद मुझे करते हैं ...
कभी कागजों पर तो कभी अधरों पर
कभी कागजों पर तो कभी अधरों पर
कभी साजों पर तो कभी
ख़्वाबों में ही फ़रियाद करते हैं ...
ऐसे चकोर का मैं खुद दीवाना हूँ
चाँद हुआ तो क्या हुआ जाना मैं भी
एक परवाना हूँ ...
आओ न चकोर!
आज की रात देख लो न मुझे जी भर के
मेरी चाँदनी आज तुम्हारी नज़रों से
खिल उठी है ,
देखो
बादलों ने भी घूंघट डाल दी है मुझ पर....
तारे आज तेरी बारात की
स्वागत में टिमटिम करके
रौशनी के फूल बरसा रहे हैं...
आओ न चकोर .....
जी भर के देख ले न मुझे अपनी नज़रों क़ी चाँद से ...
आओ न चकोर!
आज की रात देख लो न मुझे जी भर के
मेरी चाँदनी आज तुम्हारी नज़रों से
खिल उठी है ,
देखो
बादलों ने भी घूंघट डाल दी है मुझ पर....
तारे आज तेरी बारात की
स्वागत में टिमटिम करके
रौशनी के फूल बरसा रहे हैं...
आओ न चकोर .....
जी भर के देख ले न मुझे अपनी नज़रों क़ी चाँद से ...
*नीलांश
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