ज़र्रे ज़र्रे में मेरी रोशनी समाने दो
ग़म-ए -दुनिया में एक रास्ता बनाने दो
एक मैं और बेगर्ज़ एक कलम मेरा
शब-ए-तन्हाई में बैठे हैं दीवाने दो
परखी जायेगी कश्तियों की बनावट
अभी लहरों का ज़खीरा तो आने दो
ज़िन्दगी हर मोड़ पे समझाती है
ग़म-ए -दुनिया में एक रास्ता बनाने दो
एक मैं और बेगर्ज़ एक कलम मेरा
शब-ए-तन्हाई में बैठे हैं दीवाने दो
परखी जायेगी कश्तियों की बनावट
अभी लहरों का ज़खीरा तो आने दो
ज़िन्दगी हर मोड़ पे समझाती है
उसे खुद ही अब संभल जाने दो
वो यही माँगता रहा लिख कर
ख्वाब काग़ज़ पे बस सजाने दो
मैं गर नहीं तो ये नज़्म ही "नील"
मेरे अजीजों को अपनाने दो
वो यही माँगता रहा लिख कर
ख्वाब काग़ज़ पे बस सजाने दो
मैं गर नहीं तो ये नज़्म ही "नील"
मेरे अजीजों को अपनाने दो
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