आये धनुक जाने पर ,ऎसे बरस के देख
इक बार बदरे की तरह से तरस के देख
मत पूछ कि पत्ते बहुत ही बेआवाज़ हैँ ,
रुक जा कहीं और फिर जलवे नफस के देख
देखना अंदाज़ ओ अदा फिर और फैसला
उससे ज़रा पहले मुद्दे बहस के देख
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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