इक रँग का इख्तियार ,इक रँग का गुरूर
कल जाने वो तश्वीर रास आये ,न आये
तश्वीर सौंपता है साहिल के रेत को
सोचे है ये कि लहर पास आये न आये
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
सुन्दर मुक्तक।
ReplyDeleteDhanyvaad aap sab ka
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