हाथों की लकीर पर है एतबार आपको !
जाने किस नसीब का है इंतजार आपको ?
जिंदगी बाँटिये, समेटिये , समझाईये !
मौत तो हर पल करेगी बेकरार आपको !
आपकी अदायगी से बज़्म फिर ग़ुलज़ार है !
किसने कर दिया भला फिर दरकिनार आपको ?
लेना था लगा रहा कि आपको थी क्या कमी ?
देना पर रहा हिसाब किश्तवार आपको !
मुफ्त में ले जायिये बेशक गज़ल का कोई शेर !
गर नज़र आये कभी वो इश्तिहार आपको !
मुद्दत हुयी आया नजर किसको ये मर्ज-ए-सफ़र !
आया नज़र किसी ने कहा जब बीमार आपको !
आपने ही "नील" कोई फैसला क्यों न लिया ?
दिख रहा था माज़रा जो आर-पार आपको !
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी
ReplyDeleteखरी खरी बात।
ReplyDeleteउम्दा भाव।