उस किताब में उसके लिखे सारे नज़्म थे
और साथ में गुलाब की वो आखिरी पंखुरिया
सुना है आज किताब भी जल गया और पंखुरिया उसके मज़ार पर हैं ....
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
aapka aabhaar sada ji
ReplyDeletewaah!...
ReplyDeleteबहुत खूब....
ReplyDeletebhawbhini prastuti....badhiya
ReplyDeletesushma ji aapka bahut aabhaar
ReplyDeleteaapke sneh ke liye bahut aabhaari hoon shahstri ji ki aapne charcha manchke liye rachna ko chuna
ana ji bahut aabhaar
koshish karta rahunga
bahut aabhaar aapke sneh ke liye reena ji
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