उमीदों का दामन क्यों हैं सब उतारे हुए
क्या हुआ जो शज़र के फल न तुम्हारे हुए !!
सारे मुश्किलात मिट गए पल भर में में
जब स्वयं कन्हैय्या , हमारे खेवनहारे हुए !!
मरुभूमि में भी हरियाली आ गयी
जब हम सब दीनवत्सल के, द्वारे हुए!!
हीरे - मोती का हम अब क्या करें
बस इक साथ प्रीतम का , हमें सँवारे हुए !!
चिराग -ए -दिल जलती रहेगी बदस्तूर
क्या हुआ , जो बेदर्द चाँद -सितारे हुए
दिए बनाने वाले कुम्हार से पुछा करना
कितने घर -आँगन में , कल उजियारे हुए !!
ये रूप है तेरा तब तक ही ओ "नील "
जब तक तेरे सारे आचरण, प्यारे हुए !!
सारे मुश्किलात मिट गए पल भर में में
जब स्वयं कन्हैय्या , हमारे खेवनहारे हुए !!
मरुभूमि में भी हरियाली आ गयी
जब हम सब दीनवत्सल के, द्वारे हुए!!
हीरे - मोती का हम अब क्या करें
बस इक साथ प्रीतम का , हमें सँवारे हुए !!
चिराग -ए -दिल जलती रहेगी बदस्तूर
क्या हुआ , जो बेदर्द चाँद -सितारे हुए
दिए बनाने वाले कुम्हार से पुछा करना
कितने घर -आँगन में , कल उजियारे हुए !!
ये रूप है तेरा तब तक ही ओ "नील "
जब तक तेरे सारे आचरण, प्यारे हुए !!
२८ जून २०११
हीरे - मोती का हम अब क्या करें
ReplyDeleteबस इक साथ प्रीतम का , हमें सँवारे हुए !!..
प्रीतम के साथ के अलावा ओर कोई उम्मीद भी क्यों ... सब कुछ तो मिल ही गया ... बहुत खूब ...
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteदिए बनाने वाले कुम्हार से पुछा करना
कितने घर -आँगन में , कल उजियारे हुए !!
लाजवाब एहसास...
अनु
बहुत धन्यवाद दिगंबर जी
ReplyDeleteबहुत आभार अनु जी