मत पूछिए फ़िराक में अब हाल कैसा था
कि रोशनी कैसे हुई ,मशाल कैसा था
फौजी जो घर गया तो इकबाल कैसा था
कोई क्या कहें कि उनका जलाल कैसा था
बादल भी आये कि नहीं खेत तक वहाँ
उस गाँव का बीता हुआ साल कैसा था
काफिर किसे सब लोग कह रहे थे वहाँ
अब की खुदा के नाम पर बवाल कैसा था
फूटपाथ पर दो चार बचपन दिखे थे कल
उन मासूम निगाहों में सवाल कैसा था
खामोशियाँ करती दिखी थी रक्स कुछ ऐसे
साज था कैसा ,सुर-ओ-ताल कैसा था
बच्चे जहां पे खेलते थे हो के बेपरवा
जाने वो बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल कैसा था
वो दौर याद है तुम करते थे जब वाह-वाह !
और पूछता था मैं,मेरा ख्याल कैसा था ?
अबकि धुआँ भी नहीं देखा कहीं पर फिर
पानी में आ रहा था जो उबाल कैसा था
यूँ तो नहीं रोक था हमें जाते हुए तुमने
फिर यार चेहरे पर तेरे मलाल कैसा था !
मत पूछिये तिनका कहाँ बिखरा है आज "नील"
आँधी से हुआ नीड़ पायमाल कैसा था
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फ़िराक: separation
इकबाल:success ,good fortune
जलाल ; splendor,majesty
काफिर:atheist,naastik
रक्स :dance
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल:playground for children
पायमाल :ruined
सुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
ReplyDeleteaapka bahut aabhaar sikha ji
ReplyDeleteबहुत खूब... शुभकामनायें
ReplyDeletebahut aabhaar aapka pallavi ji
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