काग़ज़ में छुपा के रखूँ अब मरहम तेरा
रोज़ बस एक ही सवाल करती है कलम ,
की मेरी स्याही पे निशार हो कदम तेरा
धुल में लिपटे हुए पन्ने को उठा कर लिख दे ,
देर तक संभालेंगे किताबों में परचम तेरा
मेरे हर्फ़ यहाँ साज बन गए और राह तकें
बेजुबां हो न जाएँ ,ढूंढते हैं सरगम तेरा
यूँ तो हर चीज़ की है कीमत ,मगर सोच लूं
कि मेरी नज़्म क्या दे पाऊंगा मैं रकम तेरा
पतझड़ ,सावन ,बहार ,जेठ बदल जाते हैं,
मगर बदलता नहीं है याद का मौसम तेरा
तू कोई चाँदनी नहीं जो कम हो जाए पल में ,
मुझको मंज़ूर नहीं चमकना कम तेरा
वही सागर ,वही साहिल ,वही लहरों की सड़क ,
चल रहा है सफ़र पे जहाज़ मद्धम तेरा
जिस तरह सहर की रुत में हर दिन ओस खिले
उस तरह ही लगे हर घड़ी शबनम तेरा
ये ग़ज़ल भी दे देगी शेख दो बूँद भर जां,
भूल आयें हैं इसी खातिर दैर -ओ -हरम तेरा
वो उभर आता ही है तश्विरों में अब देख लें ,
नील स्याही में जो भर लेता हूँ ग़म तेरा
मेरे हर्फ़ यहाँ साज बन गए और राह तकें
बेजुबां हो न जाएँ ,ढूंढते हैं सरगम तेरा
यूँ तो हर चीज़ की है कीमत ,मगर सोच लूं
कि मेरी नज़्म क्या दे पाऊंगा मैं रकम तेरा
पतझड़ ,सावन ,बहार ,जेठ बदल जाते हैं,
मगर बदलता नहीं है याद का मौसम तेरा
तू कोई चाँदनी नहीं जो कम हो जाए पल में ,
मुझको मंज़ूर नहीं चमकना कम तेरा
वही सागर ,वही साहिल ,वही लहरों की सड़क ,
चल रहा है सफ़र पे जहाज़ मद्धम तेरा
जिस तरह सहर की रुत में हर दिन ओस खिले
उस तरह ही लगे हर घड़ी शबनम तेरा
ये ग़ज़ल भी दे देगी शेख दो बूँद भर जां,
भूल आयें हैं इसी खातिर दैर -ओ -हरम तेरा
वो उभर आता ही है तश्विरों में अब देख लें ,
नील स्याही में जो भर लेता हूँ ग़म तेरा
बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में
बहुत आभारी हूँ आपका मयंक दा
ReplyDeleteशुक्रिया वनीत जी
शुक्रिया प्रतिभा जी
वो उभर आता ही है तश्विरों में अब देख लें ,
ReplyDeleteनील स्याही में जो भर लेता हूँ ग़म तेरा....बहुत सुन्दर, आभार
बहुत खूब लिखा है आपने |
ReplyDeleteइस समूहिक ब्लॉग में आए और हमसे जुड़ें :- काव्य का संसार
ReplyDeleteयूँ तो हर चीज़ की है कीमत ,मगर सोच लूं
कि मेरी नज़्म क्या दे पाऊंगा मैं रकम तेरा ...वाह
नील स्याही में जो भर लेता हूँ ग़म तेरा....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअरविन्द जी ,प्रदीप जी ,रश्मि जी,संजय जी बहुत आभारी हूँ आपका
ReplyDeleteधन्यवाद
सादर
वाह बहुत सुन्दर रचना हर शब्द अपने मायने खूबसूरती से समझाता हुआ |
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल लिखी है प्रिय नीलांश ब्लॉग जगत में स्वागत है जुड़ गई हूँ आपके ब्लॉग से मेरे ब्लॉग पर स्वागत है आपका http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in
ReplyDeletebahut hi badhiya gajal..
ReplyDeleteshandaar..
behtarin.....
:-)
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_14.html
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत गज़ल नीलांश.
वही सागर ,वही साहिल ,वही लहरों की सड़क ,
चल रहा है सफ़र पे जहाज़ मद्धम तेरा ..
बहुत बढ़िया शेर कहे है...
अनु
बहुत सुंदर...बधाई हो
ReplyDeleteपतझड़ ,सावन ,बहार ,जेठ बदल जाते हैं,
ReplyDeleteमगर बदलता नहीं है याद का मौसम तेरा
बहुत सुन्दर गज़ल
meenakshi ji,rajesh ji,reena ji,rashmi ji,anu ji,rashmi ji,vandana ji aapka saadar aabhaar
ReplyDeleterashmi ji blog bulletin me sammilit kar ke gauravaantit karne ka bahut aabhaari hoon
saadar
kya khub likha bhai bhai, aapke sabdo ka pahad humesa badhta jaye yahi kamna karte hai..
ReplyDeletebahut aabhaar yogesh ji
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