चाहिये दोस्तों अब कितना जवाब ,
साँस लेने का होता नहीं है हिसाब !
देख कर आपकी नज़र की दुआ ,
भूल जायें जहाँ भर के हम गुलाब
जाग कर ख्वाब का सामना कीजिये,
नींद की ज्यादती हो न जाये खराब
आईये कि ये शहर पुकारा करे ,
होंगे अपने गली के भले ही नवाब
सुन साकी कि हमको दो हर्फ़ बहुत,
क्या पैमाना ख़ास ,क्या महंगी शराब
हर घड़ी छोड़ देता है वाजिब सवाल,
ए खुदा! तू भी कितना है लाजवाब
दीजिये नील स्याही काग़ज़ कलम
लीजिये बावफा लिख दिया इक़ किताब
बावफा : loyal
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