आ जाओ सफीनो एक बार ,फिर खुद को तैयार करो
साथ नहीं है कुछ भी तो फिर हिम्मत को पतवार करो
दरिया की लहरों पे तुमने ढेरों दाँव लगाये हैं
आज मिला है मौका तो सागर से भी दो चार करो
बद-शरियत न रोक पायेगी इन कदमों को बढ़ने से
आओ क़ाज़ी ,शेख ,अलामा हमको भी गिरफ्तार करो
वो चाँद हुआ है रोशन और कहता है चकोर से,
कर सकते हो यारा तो फिर मावस में भी प्यार करो
एक उसूल ही है अपना ,मिट जायेंगे भले मगर,
जंग में दुश्मन पर कभी भी पीछे से न वार करो
हम तो काग़ज़ के टुकड़े और कलम ,स्याही रखेंगे
शेख तुम भी भाले ,बरछी ,और ना ही तलवार करो
हम जो साथ रहें तो यारा न कोई दीवार करो ,
हम जो होंगे साथ नहीं ,इन ग़ज़लों पे ऐतबार करो
हो परदेशी ,नील शहर में ,कुछ देर तलक ही आये हो,
लेकिन जाने की बातें ना यारों से हर बार करो
आओ क़ाज़ी ,शेख ,अलामा हमको भी गिरफ्तार करो
वो चाँद हुआ है रोशन और कहता है चकोर से,
कर सकते हो यारा तो फिर मावस में भी प्यार करो
एक उसूल ही है अपना ,मिट जायेंगे भले मगर,
जंग में दुश्मन पर कभी भी पीछे से न वार करो
हम तो काग़ज़ के टुकड़े और कलम ,स्याही रखेंगे
शेख तुम भी भाले ,बरछी ,और ना ही तलवार करो
हम जो साथ रहें तो यारा न कोई दीवार करो ,
हम जो होंगे साथ नहीं ,इन ग़ज़लों पे ऐतबार करो
हो परदेशी ,नील शहर में ,कुछ देर तलक ही आये हो,
लेकिन जाने की बातें ना यारों से हर बार करो
बहुत अच्छी गज़ल...
ReplyDeleteअनु
बहुत आभार आपका अनु जी
ReplyDeleteशुक्रिया
sundar gazal
ReplyDeleteआभार आपका
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