किसी ने झील की गहराई मापी ,किसी ने झील में पत्थर मारा ,
कोई तैराक था तो दी झपकी ,किसी ने खून बहाकर मारा
किसी ने धूल की तिलांजलि दी ,कर दिया सर का आग़ाज़
किसी ने जोड़ दिया नहरों से ,उसे दरिया बनाकर मारा
किसी ने भेजा धूप को जो ले गया बादल के तोहफे ,
किसी ने ज़मीं और बादल के , बीच में आकर मारा
किसी ने खोल दिया नौकाओं का एक अनोखा सा शहर,
किसी ने सब ख़त्म करने का , एक आखिरी मोहर मारा
"नील " इस झील के उस पार ही इसकी मर्ज़ों की दवा होगी ,
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप सभी को पावन दिवाली की शुभकामनाएं.....
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
03/11/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
इस रचना को चुनने के लिए धन्यवाद कुलदीप जी
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