Friday, November 1, 2019

सौदा

बात  करते  रहो  ,उलझते  रहो,नया  आयाम  पैदा  होगा ,
अब  मेरे  और  मेरे खुदा  के  बीच ,बहुत  प्यारा  सा  सौदा  होगा 

रोज  गुस्ताख़ आँखें  साथ बैठेंगी   ,रोज  मुरझायेंगे   लबों  के  फूल 
राहें  में  रब  से  मिला  ,अब  तुमसे , दोस्त  मेरे  ,मसौदा  होगा 

फूल  महकेंगे  मगर खुशबू  की  कोई  ख्वाहिश भी तो  करता  हो ,
हम  तो  बीज  देर  से  लाये ,तू  लगा  दे  कभी ,वो  पौधा  होगा 

कोई  कहता  हैं  कि  ये  मुश्किल  है  , कोई  कहता  है  कि  बहुत  आसाँ 
पर  "नील " ये  भी  कहता कोई ,  जो  भी  होगा  होगा !

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