बात करते रहो ,उलझते रहो,नया आयाम पैदा होगा ,
अब मेरे और मेरे खुदा के बीच ,बहुत प्यारा सा सौदा होगा
रोज गुस्ताख़ आँखें साथ बैठेंगी ,रोज मुरझायेंगे लबों के फूल
राहें में रब से मिला ,अब तुमसे , दोस्त मेरे ,मसौदा होगा
फूल महकेंगे मगर खुशबू की कोई ख्वाहिश भी तो करता हो ,
हम तो बीज देर से लाये ,तू लगा दे कभी ,वो पौधा होगा
कोई कहता हैं कि ये मुश्किल है , कोई कहता है कि बहुत आसाँ
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