Saturday, November 2, 2019

झील


किसी  ने  झील  की  गहराई  मापी ,किसी  ने  झील में  पत्थर  मारा ,
कोई  तैराक  था  तो  दी  झपकी ,किसी  ने  खून  बहाकर  मारा

किसी  ने  धूल  की  तिलांजलि  दी  ,कर  दिया  सर  का  आग़ाज़ 
किसी  ने  जोड़  दिया नहरों  से ,उसे  दरिया  बनाकर  मारा

किसी  ने  भेजा  धूप  को  जो  ले  गया  बादल  के  तोहफे ,
किसी  ने  ज़मीं  और  बादल  के , बीच  में  आकर  मारा 

किसी  ने  खोल  दिया नौकाओं  का  एक  अनोखा  सा  शहर,
किसी  ने  सब  ख़त्म  करने  का , एक  आखिरी  मोहर  मारा

"नील " इस  झील के  उस  पार  ही  इसकी  मर्ज़ों  की  दवा  होगी ,
ऐसा  लगता  है   इस  पार तो , वक्त  ने   हर चारागर  मारा


1 comment:

  1. इस रचना को चुनने के लिए धन्यवाद कुलदीप जी

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