कब से जल बुझ रहा हूँ ,मालूम नहीं है
किस राह पे चल परा हूँ, मालूम नहीं है
है किधर आँखों की नींद ,कोई बता दे
सोया हूँ कि जागता हूँ, मालूम नहीं है
मैं नदी सा एक दिन मेरे अजीजों
जाने किससे जा मिला हूँ ,मालूम नहीं है
हर कोई पूछता है मुझसे मेरा वजूद
जाने किसका चेहरा हूँ , मालूम नहीं है
पूछते हो मुझसे जो मेरा राज़-ए -दिल
जाने क्या मैं सोचता हूँ,मालूम नहीं है
मेरी माथे की सिलवटें को न यूँ देखो
कैसे ग़म को पी गया हूँ ,मालूम नहीं है
माँगता था खिलौने माँ से बचपन में
जाने अब क्या माँगता हूँ ,मालूम नहीं है
मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
ReplyDeletebahut aabhaar aapka sushma ji
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