हरी घास हूँ तेरी आस हूँ
ज़रा ज़रा सा तेरे पास हूँ
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दूर था खुद से अभी भी दूर हूँ
आप सुनिए,खुद को नामंज़ूर हूँ
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एक सीपी में कहानी गढ़ गयी है दोस्तों
कोई लूटेरा आये तो मोती की कीमत लगे
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ज़रा ज़रा सा तेरे पास हूँ
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दूर था खुद से अभी भी दूर हूँ
आप सुनिए,खुद को नामंज़ूर हूँ
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एक सीपी में कहानी गढ़ गयी है दोस्तों
कोई लूटेरा आये तो मोती की कीमत लगे
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अब दूर खड़ा है साहिल पर ,लहरों की कहानी बतलाये
ये दिल तो तब ही मानेगा ,जो पानी में डूबा आये
ये दिल तो तब ही मानेगा ,जो पानी में डूबा आये
जो बात वक्त से ऊपर है ,उससे ही अहमक होता है
उससे ही उम्मीदें हैँ,उससे ही घबराये
उससे ही उम्मीदें हैँ,उससे ही घबराये
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दीवान या चूल्हा रहे ,देखिये, काग़ज़ का रंग
इनके शुक्रिया का ढंग,इनके ही गरज का रंग
इनके शुक्रिया का ढंग,इनके ही गरज का रंग
होगयी जायज़ शगल का जोर चलता ही रहा ,
ईमान बन गया ऎसे वक्त -ऐ -नाजायज का रंग
ईमान बन गया ऎसे वक्त -ऐ -नाजायज का रंग
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