हैं पूछते सवाल, पर जवाब नहीं हो !
आसमाँ तो चाहिए ,आफताब नहीं हो ?
ये कोयल की कूकें,और बया की काविश
क्यों हमें भी ए खुदा, पायाब नहीं हो
जल जाती है फानूस सी मेरी ये नज़्म ,
जो "नील लिख" दूँ,खराब नहीं हो !
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 08 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteDhanyvaad aap sab ka
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