इस अजनबी बाजार में ख्वाब देखिये
बोझिल हुये सवालों के जबाब देखिये
मोड़ पे खड़े हैं लिजे राह का भी ठौर
ये शेर नापसंद तो किताब देखिये
गुणा -भाग , जोड़ और घटाव चारो ओर
अजी भूल कर अपने हर हिसाब देखिये
सुकून हैरानी कभी इधर कभी उधर
हम देखें आपको हमें जनाब देखिये
कभी देखिये मिठास के दरमियाँ रकीब
कभी नोक झोक में अहबाब देखिये
है कसक मगर ये मेरे घर की बात है
यकीं न हो तो फिर इज़्तिराब देखिये
कोयल की काहिली और पहाड़ सा है जुर्म
गर चिंटियाँ करेंगी इंकीलाब देखिये
हासिल नहीं जो चीज उसका क्या भरम
जो चीज "नील " को है पायाब देखिये
बोझिल हुये सवालों के जबाब देखिये
मोड़ पे खड़े हैं लिजे राह का भी ठौर
ये शेर नापसंद तो किताब देखिये
गुणा -भाग , जोड़ और घटाव चारो ओर
अजी भूल कर अपने हर हिसाब देखिये
सुकून हैरानी कभी इधर कभी उधर
हम देखें आपको हमें जनाब देखिये
कभी देखिये मिठास के दरमियाँ रकीब
कभी नोक झोक में अहबाब देखिये
है कसक मगर ये मेरे घर की बात है
यकीं न हो तो फिर इज़्तिराब देखिये
कोयल की काहिली और पहाड़ सा है जुर्म
गर चिंटियाँ करेंगी इंकीलाब देखिये
हासिल नहीं जो चीज उसका क्या भरम
जो चीज "नील " को है पायाब देखिये
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 16 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपका बहुत धन्यवाद
Deleteगजब!
ReplyDeleteउम्दा सृजन।
आपका बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteवाह!!!
आपका बहुत धन्यवाद
Deleteकभी देखिये मिठास के दरमियाँ रकीब
ReplyDeleteकभी नोक झोक में अहबाब देखिये
बहुत खूब !!!
आपका बहुत धन्यवाद
Deleteमोड़ पे खड़े हैं लिजे राह का भी ठौर
ReplyDeleteये शेर नापसंद तो किताब देखिये...
ओहो...हो...हो...हो... क्या ख़ूब लिखा है सर, वाह।
आपका बहुत शुक्रिया
Deleteकभी देखिये मिठास के दरमियाँ रकीब
ReplyDeleteकभी नोक झोक में अहबाब देखिये
... क्या ख़ूब लिखा है
आपका बहुत शुक्रिया
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