Saturday, May 21, 2016

ये सवेरा रहे

जो है तेरा वो तेरा रहे ,ये सवेरा रहे
शायद ,जब तक इस जिंदगी का फेरा रहे

जैसे की कोई इम्तेहाँ हो और इनको पढ़े
साँसों के मानिंद हर्फों का भी बसेरा रहे

शायद सूरज जलाता भी है ,या हो उसे रंज
कुछ रोज से ये बादल घर को घेरा रहे

कुछ भी कहे तो लगता है कि है अजनबी,
"नील "कहे तो हम भी कहें ,वो मेरा रहे

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