खिड़कियाँ बहुत हैं उस नीचले मकान में
दीदार-ए-चाँद के लिए सारे इंतज़ाम है
मगर उपरी मकान के वासिन्दों से मुलाक़ात हुए कितने पूनम बीत गए ..
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
बहुत खुबसूरत.....
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