स्याह रात ,अर्श पे टंगे ख्वाब ,
मैं और मेरी अधलिखी किताब
कुछ पहेलियाँ ज़िन्दगी की
कुछ मासूम जवाब
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सुरूर जब होने लगे अपने वजूद का
तब आंधियां आती हैं इम्तेहान को
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उम्मीद जब हंसने लगे खुदाई पर तब जागना जरूरी है
जब यकीन न हो खुद की परछाई पर तब जागना जरूरी है
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क्षण भर का प्रेम भी तेरा जैसे झील की गहराई है
जीवन के भंवर में उसने हर पल लाज बचाई है
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एहसासों को देखते हैं ,एहसानों को याद रखते हैं
हम रब की इन्ही तोहफों से खुद को आबाद रखते हैं
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बेशक रब्बा मेरे चाँद में भी दाग है ,
मगर वो अमावस में छुपता नहीं ........
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ए सफ़र ज़िन्दगी की ,ए बशर ज़िन्दगी की ,बता तेरा इरादा क्या है
मैं तो चल ही रहा हूँ तेरे साथ ,और मेरा ,ठिकाना क्या है
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तुझसे न जाने क्यूँ राबता हो गया
न जाने क्यूँ ये सिलसिला हो गया
मेरे रूह से क्यूँ आवाज़ आने लगी
तू ही सफ़र में छाँव तू ही हौसला हो गया
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आज इक पुराना ख़त मेरे पुराने संदूक से मिला
ज़िन्दगी ने उसे पढने का मौका तक न दिया
खोला तो कुछ नहीं लिखा था
कुछ एक तश्वीर उभर आई थी उस पर
शायद आंसू मोती बन चुके थे ....
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कुछ लम्हे बहुत याद आते हैं ,
बस जाते है दिलों में , ज़ख्मो पे मरहम लगाते हैं .....
उन्ही लम्हों को समेटा है अपने एहसासों में समायें हैं
वो लम्हे मेरे अपने हैं मेरे साथी ,मेरे हमसाये हैं
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कुछ एक पल की ज़िन्दगी है ,कुछ सपने हैं ,कुछ उलझन भी
कुछ रिश्ते मिलते है दिल से ,कहीं तरसे दिल की धड़कन भी
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मेरे पैमाने में शराब कहाँ ,वो तो बस ,कुछ धडकनों को समेटे हैं
कुछ दूरियां मिट जाती हैं ,मेरे माजी ,मेरी दुनिया ,मेरे रिश्तों को समेटे हैं
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हर मोड़ पे सहारा ढूंढता नहीं , सहारे की आदत न हो ,दुआ करना
न चाहता हूँ की तू परेशान रहे ,जागना सही ,नहीं रतजगा करना
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ये ज़िन्दगी कट जाए बस कुछ एहसासों के साथ
वाह बहुत खूब बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने शुभकामनायें समय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
ReplyDeleteकुछ एक पल की ज़िन्दगी है ,कुछ सपने हैं ,कुछ उलझन भी
ReplyDeleteकुछ रिश्ते मिलते है दिल से ,कहीं तरसे दिल की धड़कन भी....खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
pallavi ji
ReplyDeletesushma ji
aapke sneh ka aabhari hoon
saadar