Sunday, January 1, 2012

ये सपने !!

कभी दोस्त  बनकर हंसाते है ,ये सपने
कभी माँ की तरह सुलाते हैं ,ये सपने !!

कोई बुनता होगा सपना मेरे खातिर
अक्सर  मुझे  बताते   हैं  ,ये  सपने !!

यूँ तो शहर बन चूका हर गाँव है 
गाँव को भी शहर बनाते हैं,ये सपने !!


दिन रात परखता है हर चहरे को जो 
उनकी असलियत भी दिखाते हैं ,ये सपने !!

रूह  की  सेज  पर  ये  सोये  रहते  हैं  
हरदम  नींद  से  जगाते  हैं  ,ये  सपने !!

"नील"  अकेला   नहीं  है   राह  में
राहबर  का  फ़र्ज़  निभाते  हैं  ,ये  सपने !!

No comments:

Post a Comment

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...