मैं झील हूँ
है इंतज़ार मुझे लहरों का
समुंदर तक पहुंचा दे न मुझे ए नदी ...
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
BAHUT SUNDAR.KITNI BADI BAT TEEN PANKTION MAI
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.
ReplyDeleteस्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़
समुन्दर पाने की प्यास तो सब में होती है पर कोई कोई ही इस मुकाम तक पहुँच पाता है ...
ReplyDeleteगहरी बात लिए छोटी सी रचना...बहुत खूब
ReplyDelete