Saturday, January 28, 2012

मैं झील हूँ

मैं  झील  हूँ   
है इंतज़ार  मुझे  लहरों  का
समुंदर  तक   पहुंचा  दे  न  मुझे  ए  नदी  ...

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।

    ऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  2. BAHUT SUNDAR.KITNI BADI BAT TEEN PANKTION MAI

    ReplyDelete
  3. ब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.

    स्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़

    ReplyDelete
  4. समुन्दर पाने की प्यास तो सब में होती है पर कोई कोई ही इस मुकाम तक पहुँच पाता है ...

    ReplyDelete
  5. गहरी बात लिए छोटी सी रचना...बहुत खूब

    ReplyDelete

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...